भारत के वर्ल्ड कप जीतने पर हुए उतार चढ़ाव से मिली जीवन की सीख रूपी प्रेरणा …..रवींद्र सिंह (मंजू सर) मैहर की कलम से

(मैहर) भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच चल रहे टी 20 वर्ल्ड कप फाइनल मे दक्षिण अफ्रीका की पारी का सत्रहवाँ ओवर याद करिए! चौबीस गेंद में केवल छब्बीस रन बनाने थे और उनके पास थे छह विकेट। क्रीज पर जो बल्लेबाज थे वे धुंआधार खेल रहे थे। क्या उस अफ्रीका के समर्थकों को जीत स्पष्ट नहीं दिख रही होगी? क्या उस समय हमको आपको हार नहीं दिखने लगी थी?

मैंने देखा, मेरे ही असंख्य मित्रों ने फेसबुक पर भारत की हार घोषित कर दी और अपनी भड़ास निकालने लगे थे। यह स्वभाविक था। सबको ऐसा ही लगने लगा था। मै भी मन ही मन स्पिनर्स को गाली देने लगा था। बस एक हल्की सी उम्मीद थी कि कुछ हो जाय तो मजा आ जाय… वही विशुद्ध भारतीय भाव! “जै हनुमान जी, दिखाइए न अपनी लीला…” वाला टिपिकल देहाती भाव… हे बरम बाबा, हे काली माई… हे शारदा माता,,,,ठीक उसी समय अफ्रीका का एक विकेट गिरा और जैसे हार के जबड़े से छूट कर जीत निकल आई। बुमरा और पांड्या अपनी लय में लौट आये, सूर्य कुमार ने सौ सालों तक याद रखा जाने वाला कैच लोक लिए, और झटके में रङ्ग बदल गया।

मेरे इस लेखन के पेरणा स्रोत ध्रुव कुमार जी के अनुग्रह पर रवींद्र सिंह (मंजू सर )मैहर की कलम कहती है कि जिन्दगी ठीक ऐसे ही रङ्ग बदलती है दोस्त! बस भरोसा रखना होता है। अपने कर्म पर भरोसा रखने से बल मिलता है तो कर्म पर रखिये, यदि ईश्वर पर भरोसा रखने से बल मिले तो देवी देवता को स्मरण कीजिये, पर भरोसा रखिये कि दिन पलटेंगे… ईश्वर हर रोहित शर्मा को कभी न कभी यह सोलहवाँ ओवर जरूर देता है। हर सूर्य कुमार यादव के पास कभी न कभी वह गेंद जरूर आती है जिसे लपक कर वह इतिहास बना देता है। अब तनिक साउथ अफ्रीका की सोच लीजिये। क्या खूब खेले थे वे… एक बार तो उनके विरोधियों को भी उनकी जीत स्पष्ट दिखने लगी थी। पर यही सोलहवाँ ओवर उन्हें लूट ले गया।

तो भाई साहब! कभी कभी जीवन में यह सोलहवाँ ओवर सब कुछ लूट ले जाने के लिए भी आता है। सब दिन हरियाली ही थोड़ी रहती है। बात बस यह है कि यह सब आता जाता रहता है। हार जीत होती रहती है और जिन्दगी चलती रहती है।रवींद्र सिंह (मंजू सर )मैहर की कलम कहती है कि तो कुल मिला कर बात यह कि जिन्दगी पर भरोसा रखिये। पूरे टूर्नामेंट में फेल रहने वाला कोहली भी फाइनल में मैन ऑफ द मैच बन सकता है। समय आपको जिस दिन चाहेगा, हीरो बना देगा।

रोहित विराट और द्रविड़ की इससे बेहतर विदाई नहीं हो सकती थी और जिस शानदार तरीके से नए लड़कों को राजपाट सौंप कर वे स्वयं किनारे हो गए हैं, वह उन्हें और बड़ा बनाता है। आओ लड़कों, उठाओ देश का झंडा और लिखो नया इतिहास, हम अपने हिस्से की खेल चुके… यही है असली खिलाड़ी वाला भाव। तो कुल मिला कर बहुत बहुत बधाई सबको… जय माता दी। भारत माता की जय।
✍️ रवीन्द्र सिंह (मंजू सर)
RPKP INDIA NEWS
              मैहर

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