मैहर वाली शारदा माता धाम से अनमोल चिंतन…..रवींद्र सिंह (मंजू सर) मैहर की कलम से
(अखंड ज्योति पुस्तक के संकलन से)
एक सम्राट युद्ध पर गया। जब लौटने वाला था, तो उसने अपनी पत्नियों को खबर भेजीः क्या ले आऊं तुम्हारे लिए। 100 पत्नियां थीं उसकी। 99 ने बड़ी लम्बी लंबी लिस्ट फरमाइश भेजीं। किसी को हीरे चाहिए, किसी को मोती चाहिए। किसी को कुछ, किसी को कुछ। सिर्फ एक पत्नी ने उसे लिखाः आप आ जाओ, सब आ गया। निन्यानबे के लिए चीजें आईं, लेकिन सम्राट उस सौवीं पत्नी के लिए आया और उसने कहाः एक तेरा ही प्रेम मेरे प्रति मालूम होता है। बाकी किसी को फिकर नहीं है मेरी। मैं आऊं कि न आऊं, हीरे आने चाहिए, जवाहरात आने चाहिए। एक तूने मुझे पुकारा। तेरे लिए मैं अपना हृदय लाया हूं।
रवींद्र सिंह मंजू सर मैहर की कलम कहती है कि परमात्मा भी उसी के हृदय में आएगा, जिसने अकारण पुकारा है; हृदय से पुकारा है–कुछ और मांगने के लिए नहीं। धन मत मांगना,पद मत मांगना। उन्हीं मांगों का कारण तो तुम्हारी प्रार्थना गंदी हो जाती है; पंख कट जाते हैं प्रार्थना के। जमीन पर गिर जाती है। परमात्मा तक नहीं पहुंच पाती।खयाल रखनाः परमात्मा से कुछ और मांगा तो, तुमने परमात्मा का अपमान किया।परमात्मा से बस, परमात्मा को ही मांगना। उससे अन्यथा मांगना अत्यंत अपमानजनक है। अन्यथा मांगने का अर्थ हैः तुम परमात्मा से भी मूल्यवान कोई चीज मांगते हो।
आप सभी को सादर नमन। मैहर वाली शारदा माता सदा अपना आशीर्वाद बनाए रखे।
“सच्चे मन से बोलिए त्रिकूट वासनी शारदा माता की जय”
